Wednesday, April 1, 2009

अबे, खामोश रह..

हम गहरे सोच में हैं, अरे,
वरुण ने यह क्या किया?
चुप रह, सब सहना था,
जाने क्यों जोर शोर से बोल दिया?

भागवत गीता का नाम लिया तो,
उसे पढ़ने की नसीहत देने लगी प्रियंका,
जिसने आज तक, गीता को नहीं पढ़ा,
अब वही बजाने लगी अपने ज्ञान का डंका॥

आम आदमी से एक क्रुद्ध शेर क्या बना,
खूब खलबली मची, और हैरत में पड़ी इं.का.*,
सहन ना कर सकी, सच की भीषण ज्वाला,
भीतर से जलने लगी, जैसे सोने की लंका॥

चुप रहता, तो मनमोहन कहते,
ये है आखिर
नेहरू खानदान का बच्चा,
पर क्या करें, घोर अनर्थ हो गया,
ये तो निकल गया बिल्कुल ही सच्चा॥

माननीय मनमोहन जी, हम कहते हैं,
अच्छा है, वरुण ने भी तोड़ दिया नाता,
वरना यह भी, एक
और, काश्मीर-पलायन,
पंजाब-जलन और सिख-विरोधी दंगे करवाता॥

यह सचमुच नेहरू-गाँधी वंश का होता तो,
गरीबी की जगह, गरीबों को ही हटवाता,
देश को दावं पर लगा, रक्षा सौदे करवाता,
कथनी करनी में फर्क रख, सौहाद्र के नारे लगाता॥

बिन योग्यता, बिन प्रयास, सत्ता को वंशवाद से पाता,
बचे खुचे चोरों, लुटेरों, हत्यारों, मक्कारों को संसद पहुचाता,
या विदेशी से शादी रचा, फिर भी उसे भारतीय नहीं बनाता
और अपने महान वंश की, महान परम्परा को आगे बढ़ाता॥

जवान था, शायद रक्त कुछ ज्यादा ही उबल गया,
सदियों से सब चुप रह सहते थे, ये बोल गया,
इसके चंद शब्दों से, अन्याय, तुष्टिकरण और
झूठी धर्म-निरपेक्षता का,
खोखला सिंहासन डोल गया॥
झूठी धर्म-निरपेक्षता का, खोखला सिंहासन डोल गया

[पुरानी पोस्ट हैपर बात अब तक सच है॥]

6 comments:

  1. bilkul sahi hai aaj bhi aapke vichar....

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  2. पोस्‍ट पुरानी हो सकती है
    सच सनातन रहता है

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  3. बिन योग्यता, बिन प्रयास, सत्ता को वंशवाद से पाता,
    बचे खुचे चोरों, लुटेरों, हत्यारों, मक्कारों को संसद पहुचाता,
    या विदेशी से शादी रचा, फिर भी उसे भारतीय नहीं बनाता
    और अपने महान वंश की, महान परम्परा को आगे बढ़ाता॥
    kya karara vyng hai! Wah!

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  4. चुप रहता, तो मनमोहन कहते,
    ये है नेहरू-गाँधी खानदान का बच्चा,
    पर क्या करें, घोर अनर्थ हो गया,
    ये तो निकल गया बिल्कुल ही सच्चा॥

    वाह जयंत जी
    आप ने तो आइना ही दिखा दिया कृपया ब्लॉग का back ground color बदल दीजियेगा ठीक से दिखाई नहीं देता इस background पे और वर्ड varification भी हटा दीजियेगा टिपण्णी देने में pareshani hoti hai

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  5. जवान था, शायद रक्त कुछ ज्यादा ही उबल गया,
    सदियों से सब चुप रह सहते थे, ये बोल गया,
    इसके चंद शब्दों से, अन्याय, तुष्टिकरण और
    झूठी धर्म-निरपेक्षता का, खोखला सिंहासन डोल गया॥

    Shaandaar prastuti !

    Zaroorat hai aise hi do-chaar imaandaar 'bol-dene' walon ki..

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  6. बहुत सुन्दर और सही विचार हैं| धन्यवाद|

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