Tuesday, December 10, 2013

मेरे अंगने में...

मेरे अंगने में.....

घर में दुश्मन है बैठा,
अपनों ने गिराई गाज,
आग लगी है आज,
मेरे अंगने में...

देश को जिन्हें बचाना था,
सुध बुध खोकर सत्तामद में,
नाच रहें हैं नंगा नाच,
मेरे अंगने में....

बाराणसी में विस्फोट करा,
एक बच्ची के चीथडे उड़ाकर,
आतंक का बढ़ाते राज,
मेरे अंगने में....

सत्ता के गलियारे में बैठे,
मनमोहन माटी के पुतले,
मैडम के बस चाटें पाँव,
मेरे अंगने में....

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